अल्लाह पर विश्वास

     हम मुसलमानों का यह मानना है कि इस संसार को बनाने वाला और मालिक अल्लाह है | जो संसार में बसने वाले की हर एक ज़रूरत को पूरा करता है| इसलिए लोगों को चाहिए की वह मात्र अल्लाह पर ही पूरा भरोसा करें| अवश्य अल्लाह उनकी सहायता करेगा और उनकी रक्षा भी करेगा| उसे ऐसी जगह से रूजी देगा जहां से उसने कभी नहीं सोचा होगा |
 

विश्वास का अर्थ

  विश्वास का अर्थ यह है कि अल्लाह की दी हूई शक्ति के अनुसार पूरा प्रयास करते हुए जो भी कार्य करें इसके परिणाम को अल्लाह के सुपुर्द कर दें और समझें की काम करने की क्षमता अल्लाह ने दी है | और वही हमें सफलता भी देगा |
              जैसा कि एक बार एक देहाती ऊंट पर सवार हो कर रसूल (स.अल.) की सेवा में आया और सवाल किया कि " रसूल (स.अल.) मै ऊंट को ऐसे ही खुला छुड़ कर अल्लाह पर ئئविश्वास करूं तो क्या मेरा ऊंट मुझे वापस मिल जाएगा ? मुहम्मद (स.अल.) ने कहा इसे रस्सी से बांध दो फिर अल्लाह पर विश्वास करो |
  (तिर्मिधी बबूल कियामह)ْْئٰ
इस किस्से से हमें विश्वास का सही अर्थ मालूम होता है| 

अल्लाह का आदेश है,
الطلاق:30)وَمَن يَتَوَكَّلْ عَلَي اللّٰهِ فَهُوَحَسُبُهُ)
 अनुवाद: जो अल्लाह पर विश्वास करता है , अल्लाह उसके लिए काफी है|
         इस आयत में विश्वास की शिक्षा दी गई है इसलिए हर एक मोमिन के लिए जरूरी है कि वे अपने कार्य को सत्य निष्ठा से करें और अल्लाह पर विश्वास करें । क्योंकि परिणाम उसी के हाथ में है। 
 
           इस्लाम की पहली लड़ाई में ३१३ मुसलमान उपस्थित थे और उनके विरूद्ध १००० मक्का के काफिरों की सेना थी। लेकिन परिणाम क्या हुआ? मुसलमानों कि विजय हुई और इस विजय का कारण अल्लाह पर विश्वास था। मुसलमान केवल इस कारण इस दुनिया में राजा बन बैठे कि केवल अल्लाह पर विश्वास था , और याद कीजिए उस समय को जब मुसलमान अल्लाह पर विश्वास करते हुए समुद्र में उतर गए। बड़ी ताकतों से टकरा गए। और विजेता हूए।

             लेकिन आज हम मुसलमानों कि हालत पर नज़र डालें तो पता चलेगा कि वह अल्लाह पर विश्वास नहीं करते ,इस कारण हमारा इस धरती पर कोई सम्मान नहीं रहा । जब हज़रत इब्राहिम (अल) को अल्लाह ने आदेश दिया कि वह अपने बच्चे और बीवी को मैदान में छोड़ आएं। अल्लाह के आदेश को इब्राहिम (अल.)ने माना , जब छोड़ कर जाने लगे तो उनकी बीवी हज़रत हाजरा (अल.) ने उनसे सवाल किया कि हमें किसके सुपुर्द करके जा रहे हैं? तो इब्राहिम (अल.) ने कुछ उत्तर नहीं दिया । हज़रत हाजरा ने दूसरी बार फिर वही सवाल किया , तब भी इब्राहिम (अल.) ने उत्तर नहीं दिया । फिर आप ने तीसरी बार भी यही सवाल किया तो हज़रत इब्राहिम (अल.) ने बड़े विश्वास से उत्तर दिया "अल्लाह के भरोसे पर छोड़ कर जा रहा हूं"! यह सुनते ही हाजरा (अल.) ने कहा अल्लाह हमें हानि नहीं पहुंचाएगा ।

               एक बार मुहम्मद (स.अल.)ने कहा तुम अल्लाह पर विश्वास करो जिस तरह उस पर विश्वास करने का आदेश है तो अल्लाह तुम्हें ऐसे भोजन देगा जिस तरह से सुबह को खाली पेट प्रास्थान करने वाले पक्षी शाम को अपना पेट भर कर वापस आते हैं।(तिरमिज़ी)


    अल्लाह से दुआ है के वह हमें पक्का मुसलमान बना दे और हमारा ईमान ,विश्वास उसी पर हो और हमको विश्वास करने की शक्ति प्रदान करें।( आमीन)

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